
बरेली में प्रस्तावित 29.95 किलोमीटर लंबे फोर-लेन रिंग रोड और सिक्स-लेन पुल व अंडरपास के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पिछले तीन साल से चल रही है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को इसके लिए 32 गांवों की जमीन अधिग्रहण करनी है, लेकिन प्रक्रिया की सुस्त रफ्तार और मुआवजा वितरण में देरी के कारण किसानों में नाराजगी बढ़ रही है। आइए जानते हैं कि बरेली रिंग रोड प्रोजेक्ट की राह में क्या अड़चनें हैं और मुआवजा वितरण की स्थिति क्या है।
अब तक कितना हुआ भूमि अधिग्रहण?
बरेली रिंग रोड के लिए 28 जनवरी 2022 से शुरू हुई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अब तक 24 गांवों के लिए अवार्ड जारी हो चुके हैं। सात गांवों में अवार्ड की प्रक्रिया अभी चल रही है, जबकि एक गांव—रहपुरा जागीर—चकबंदी की समस्या में फंसा हुआ है। इनमें से सिर्फ दो गांवों, सरनिया और इटौआ सुखदेवपुर, के भूस्वामियों को मुआवजा मिल सका है। बाकी 22 गांवों के किसान मुआवजे के लिए इंतजार कर रहे हैं।
मुआवजा वितरण में क्यों हो रही देरी?
मुआवजा वितरण की प्रक्रिया अवार्ड जारी होने के बाद भूमि राशि पोर्टल के जरिए पूरी की जाती है, लेकिन इसमें महीनों का समय लग रहा है। पहले एनएचएआई के पास बजट की कमी थी, और अब जब बजट उपलब्ध है, तब भी वितरण की गति बेहद धीमी है। कुल 863 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित करना है, लेकिन अब तक सिर्फ 377 करोड़ रुपये की स्वीकृति जारी हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि 14 फरवरी 2025 तक 15 करोड़ रुपये भी वितरित नहीं हो सके। अगर यही सुस्ती जारी रही, तो मुआवजा वितरण में पांच साल तक लग सकते हैं।
जिम्मेदारों का क्या है कहना?
- परियोजना निदेशक प्रशांत दुबे: उनका कहना है कि मुआवजा वितरण की गति जितनी तेज होगी, उतनी ही जल्दी जमीन पर कब्जा मिलेगा और निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा। रहपुरा जागीर में अधिग्रहण अधिसूचना जारी होना बाकी है, और कुछ गांवों में अवार्ड की प्रक्रिया पूरी की जानी है। अड़चनों को दूर करने की कोशिश जारी है।
- प्रभारी विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी रामजनम यादव: हाल ही में कार्यभार संभालने वाले यादव ने कहा कि वह प्रक्रिया को समझकर जरूरी कदम उठाएंगे।
किसानों पर क्या असर?
बरेली रिंग रोड प्रोजेक्ट के लिए जमीन देने वाले किसानों के लिए मुआवजे का इंतजार मुश्किल भरा हो गया है। एक-एक दिन की देरी उनके लिए भारी पड़ रही है। अगर मुआवजा समय पर नहीं मिला, तो न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी, बल्कि जमीन पर कब्जा मिलने में देरी से प्रोजेक्ट का निर्माण भी शुरू नहीं हो पाएगा।
बरेली रिंग रोड प्रोजेक्ट का महत्व
बरेली में 29.95 किलोमीटर लंबा यह रिंग रोड शहर की ट्रैफिक समस्या को कम करने और कनेक्टिविटी को बेहतर करने में अहम भूमिका निभाएगा। फोर-लेन सड़क के साथ सिक्स-लेन पुल और अंडरपास इस प्रोजेक्ट को और भी खास बनाते हैं। लेकिन अगर भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में देरी होती रही, तो यह सपना हकीकत में बदलने में लंबा वक्त लग सकता है।
आगे क्या?
एनएचएआई और जिला प्रशासन को इस प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है। मुआवजा वितरण के लिए समयसीमा तय करना और अड़चनों को जल्द दूर करना जरूरी है, ताकि किसानों को राहत मिले और बरेली रिंग रोड का निर्माण समय पर शुरू हो सके।