
बरेली में इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट से जुड़ा 8000 करोड़ का घोटाला चर्चा में है। IAS अभिषेक प्रकाश पर सरकारी जमीन हड़पने और बेनामी संपत्ति बनाने के आरोप। जानें पूरी कहानी।
परिचय: बरेली में 600 एकड़ सरकारी जमीन पर टाउनशिप का विवाद
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक बड़ा घोटाला सुर्खियों में है, जिसका केंद्र है “इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट”। इस प्रोजेक्ट में 600 एकड़ सरकारी जमीन पर आलीशान टाउनशिप बनाए जाने का दावा किया जा रहा है, जिसकी कीमत लगभग 8000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस मामले में IAS अभिषेक प्रकाश पर गंभीर आरोप लगे हैं। भाजपा नेता महेश पांडेय ने इसे अभिषेक प्रकाश के कार्यकाल का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इसकी जांच शुरू कर दी है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट क्या है?
नारियावल, बरेली में बन रही इंटरनेशनल सिटी एक हाई-प्रोफाइल टाउनशिप प्रोजेक्ट है। आरोप है कि इसमें 600 एकड़ सरकारी जमीन का इस्तेमाल किया गया, जिसे कथित तौर पर IAS अभिषेक प्रकाश के प्रशासनिक दबाव से हासिल किया गया। इस प्रोजेक्ट को बिल्डर राजू खंडेलवाल चला रहे हैं, जिन्हें अभिषेक का करीबी माना जाता है। दावा है कि इस टाउनशिप के लिए 113 तालाबों को भी पाट दिया गया, जिससे पर्यावरण और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा।
अभिषेक प्रकाश पर क्या हैं आरोप?
अभिषेक प्रकाश, जो समाजवादी पार्टी सरकार में 31 जुलाई 2012 से 8 जून 2014 तक बरेली के डीएम रहे, पर कई गंभीर आरोप लगे हैं:
- सरकारी जमीन पर कब्जा: 600 एकड़ सरकारी जमीन को टाउनशिप के लिए हड़पवाने का दावा।
- बेनामी संपत्ति: बरेली और लखीमपुर खीरी में 700 बीघा जमीन अपने परिवार और फर्जी कंपनियों के नाम खरीदने का आरोप।
- काली कमाई का निवेश: इंटरनेशनल सिटी में अपनी हिस्सेदारी और बिल्डरों (राजू खंडेलवाल, विपिन अग्रवाल, राजेश गुप्ता) के जरिए काले धन को लगाने की बात।
- प्रशासनिक दुरुपयोग: अपने पद का फायदा उठाकर बीडीए (बरेली विकास प्राधिकरण) और अन्य अधिकारियों पर दबाव डालने का आरोप।
भाजपा नेता महेश पांडेय का कहना है कि अभिषेक ने आंवला, सदर तहसील और फरीदपुर तहसीलों में भी बेनामी संपत्तियां बनाईं। साथ ही, स्टांप ड्यूटी चोरी के भी इल्जाम हैं।
महेश पांडेय ने कैसे उजागर किया घोटाला?
महेश पांडेय, जो पहले समाजवादी पार्टी के करीबी थे और अब भाजपा में हैं, ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने ED से शिकायत की और दावा किया कि अभिषेक प्रकाश ने अपने डीएम कार्यकाल में अरबों रुपये की संपत्ति बनाई। पांडेय के मुताबिक, जब उन्होंने बीडीए से शिकायत की थी, तो इंटरनेशनल सिटी का नक्शा रद्द कर दिया गया था। फिर भी, निर्माण कार्य जारी रहा और मकान करोड़ों में बिकते रहे। पांडेय ने बीडीए अधिकारियों पर भी लापरवाही का आरोप लगाया।
ED की जांच और आगे की कार्रवाई
महेश पांडेय की शिकायत के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच शुरू की है। DOPT (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) ने भी यूपी सरकार को इसकी जांच के लिए पत्र लिखा था। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि जांच में क्या खुलासे होते हैं और अभिषेक प्रकाश के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
कौन हैं महेश पांडेय?
महेश पांडेय बरेली के किला थाना क्षेत्र में फूलबाग के निवासी हैं। वे समाजसेवी और कानूनविद के रूप में जाने जाते हैं। लंबे समय तक समाजवादी पार्टी में रहने के बाद, पिछले निकाय चुनाव में मेयर डॉ. उमेश गौतम के पिता केके गौतम के कहने पर उन्होंने भाजपा जॉइन की। मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पांडेय को अखिलेश यादव भी “अंकल” कहते थे।
निष्कर्ष: क्या है इस घोटाले का सच?
बरेली का इंटरनेशनल सिटी घोटाला न सिर्फ सरकारी जमीन के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि प्रशासनिक शक्ति के कथित दुरुपयोग की भी कहानी बयां करता है। 8000 करोड़ की संपत्ति, 113 तालाबों का पाटा जाना और बेनामी संपत्तियों के आरोप इस मामले को गंभीर बनाते हैं। ED की जांच से सच सामने आएगा, लेकिन यह मामला यूपी की सियासत और प्रशासन में हलचल मचाने के लिए काफी है।
आप इस मामले के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।